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अष्टांग संग्रह वाक्य

उच्चारण: [ asetaanega sengarh ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • आयुर्वेद की प्रसिद्ध पुस्तक अष्टांग संग्रह वैदिक नहीं है।
  • -अष्टांग संग्रह सूत्र 1-27
  • अष्टांग संग्रह ' में इस प्रकार का विवेचन उपलब्ध है।
  • अष्टांग संग्रह में सौंदर्य सामग्री का बेवकूफी भरा वर्णन भी है।
  • जैसा कि आयुर्वेद के शास्त्र अष्टांग संग्रह में लिखा हुआ है कि-
  • अग्नि पुराणमें अध्याय २६९ से २७० तक उपर्युक्त सामग्री का वर्णन अष्टांग संग्रह केक्रमानुसार ही प्रस्तुत किया गया है.
  • अग्नि पुराणमें अध्याय २६९ से २७० तक उपर्युक्त सामग्री का वर्णन अष्टांग संग्रह केक्रमानुसार ही प्रस्तुत किया गया है.
  • चरक संहिता, सुश्रुत संहिता तथा वाग्भट्ट का अष्टांग संग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं.
  • चरक संहिता, सुश्रुत संहिता तथा वाग्भट्ट का अष्टांग संग्रह आज भी भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) के मानक ग्रन्थ हैं.
  • अष्टांग संग्रह, अष्टांग हृदय, भाव प्रकाश, माधव निदान इत्यादि ग्रंथों का सृजन चरक और सुश्रुत को आधार बनाकर रचित की गयीं हैं।
  • वागभट्ट द्वारा रचित संस्कृत ग्रंथ “ अष्टांग ह्रुदयम ” और “ अष्टांग संग्रह ” आज केरल के आयुर्वेद के आधार हैं.
  • अष्टांग संग्रह, अष्टांग हृदय, भाव प्रकाश, माधव निदान इत्यादि ग्रंथों का सृजन चरक और सुश्रुत को आधार बनाकर रचित की गयीं हैं।
  • एक आदमी की इष्टतम दैनिक दिनचर्या के लिए रात में खाने से बचना चाहिए क्योंकि उस समय जठराग्नि, जो खाना पचाने का काम करती हैं, उस दौरान बहुत कमजोर होती हैं|-चरकसंहिता और अष्टांग संग्रह
  • (अष्टांग संग्रह: सूत्रस्थानाम-अध्याय-32) इसी शास्त्र में सौंदर्य का एक और नुस्खा लिखा है, विधारे के फल का एक कर्ष, मधु और घृत भी एक कर्ष में ले कर पियें, ऊपर से गाय या भैंस का दूध पियें, फिर इच्छानुसार भोजन करें।
  • देव व्यपाश्रय और युक्ति व्यपाश्रय चिकित्सा द्वारा, इलाज करने वाले देवताओं के चिकित्सक ' अश्विनी कुमारों ' की वैदिक चिकित्सा पद्धति है ये, जिसमें किस व्याधि का इलाज नहीं है भला? दमा, राजयक्ष्मा, अतिसार, आमवात और प्रमेह से लेकर उन्माद आदि सभी व्याधियों की सम्पूर्ण चिकित्सा का वर्णन है, सुश्रुत, अष्टांग संग्रह आदि वृहदत्रायी और लघुत्रयी में ।
  • यद्यपि रोगी तथा रोग को देख-परखकर रोग की साध्या-साध्यता तथा आसन्न मृत्यु आदि के ज्ञान हेतु चरस संहिता, सुश्रुत संहिता, भेल संहिता, अष्टांग संग्रह, अष्टांग हृदय, चक्रदत्त, शारंगधर, भाव प्रकाश, माधव निदान, योगरत्नाकर तथा कश्यपसंहिता आदि आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अनेक सूत्र दिये गए हैं परन्तु रोगी या किसी भी व्यक्ति की आयु का निर्णय यथार्थ रूप में बिना ज्योतिष की सहायता के संभव नहीं है।

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